बल से बड़ी बुद्धि

बल से बड़ी बुद्धि 

इतिहास गवाह है कि कमजोरों को हमेशा ही बलवानों ने दबाया और कुचला है, पर पहले भी बड़े बुजुर्ग कहते थे और आज भी कहते हैं कि बल से बुद्धि हमेशा बड़ी होती है और सत्य यही है। चलिए आप सभी को बचपन की और ले चलते हैं और एक बहुत ही रोचक कहानी के माध्यम से समझाता हूँ कि कैसे बुद्धि बल से बड़ी होती है। 

ये कहानी शुरू होती है एक गाँव के एक घने जंगल से जहाँ एक बहुत ही गहरी गुफा में एक बहुत ही शक्तिशाली शेर रहा करता था। उस शेर की क्रूरता से जंगल के सभी जानवर बहुत डरते थे, शेर जैसे ही अपनी गुफा से बाहर निकलता था सारे जानवर अपने अपने मांदों में और बिलों घुस जाया करते थे कितने ही जानवर इधर उधर भाग कर अपनी जान बचाया करते थे। शेर इतना क्रूर था कि वह जब भी अपनी मांद से शिकार के लिए बाहर निकलता था, वह एक ही बार में कई मासूम जानवरों को मार देता था। इससे जंगल के सभी जानवर बहुत परेशान थे क्योंकि उनके घरों के सारे सदस्य एक एक करके ख़तम होते जा रहे थे। पर बेचारे करते भी क्या राजा से बैर लेने की किसीमें हिम्मत नहीं थी। 

एक बार सभी जानवरों ने परेशान होकर एक सभा का आयोजन किया। जिसमें शेर को छोड़कर जंगल के सभी जानवर उपस्थित हुए। उस सभा का सञ्चालन गणेश हाथी कर रहा था क्योंकि एक तो हाथी बहुत ही शांत स्वाभाव के थे और हमेशा अपनी मस्ती में रहते थे इसीलिए जंगल के सभी जानवर गणेश हाथी की बहुत इज्जत करते थे। सभा में मंत्रणा का सिर्फ एक ही विषय था की जंगल के राजा से कौन बात करे? सभी जानवर उस सभा में अपना अपना दुखड़ा प्रकट कर रहे थे धीरे धीरे शोर इतना बढ़ गया कि गणेश को सबको चिल्लाकर चुप कराना पड़ा। फिलहाल उस मंत्रणा से निष्कर्ष यह निकला की सभी जानवर एक साथ शेर के पास चलेंगे और अपनी व्यथा राजा के सामने रखेंगे। एक साथ चलने की बात सुनकर सभी के अंदर हिम्मत आ गयी और सभी ने एक स्वर में सहमति जताते हुए गणेश हाथी के पीछे पीछे चलना शुरू कर दिया। 


Lion king
क्रूर शेर 


शेर की मांद के बाहर पहुंच कर गणेश ने प्रतिनिधित्व करते हुए शेर को प्रणाम किया और कहा कि आप इस जंगल के राजा हैं और हम सभी जंगलवासी आपकी प्रजा और आप अपने भोजन के लिए प्रतिदिन जंगल के इतने जानवरों को मार देते हैं जबकि आपका पेट एक ही जानवर में भर जाता है। यदि आप इसी रफ़्तार से मारते रहेंगे तो एक दिन यह जंगल खाली हो जाएगा फिर आप किस पर राज करेंगे और फिर आप अपने भोजन के लिए किसे खाएंगे। गणेश हाथी ने बड़ी ही सूझ बूझ से अपनी बात शेर के सामने रख दी और शेर को उसकी बात समझ आ गयी तो शेर ने पूछा कि फिर तुम्ही बताओ कि मैं क्या करूँ, तो जनता का प्रतिन्धित्व कर रहे बाकी जानवरों ने बड़े ही विनम्र स्वर में कहा कि महाराज हममें से रोज एक जानवर आपके पास स्वयं ही आ जाया करेगा इससे एक दिन में सिर्फ एक ही जानवर की जान जाएगी। आपका भोजन हर दिन समय पर आपकी गुफा में पहुंच जाया करेगा। 

शेर ने सोंच कर कहा कि यदि तुम सब यही चाहते हो तो ठीक है पर इसमें किसी प्रकार की कोई ढील नहीं होनी चाहिए, इतना कहकर वह अपनी मांद में वापस चला गया। सभी ख़ुशी ख़ुशी अपने अपने घर को चले गए और अगले ही दिन से शेर को दिए हुए वचन का पालन होना शुरू हो गया। प्रति दिन शेर की गुफा में कोई न कोई जानवर अपनी बारी के हिसाब से चला जाता था। ऐसा काफी दिन चलता रहा और एक दिन गिल्लू खरगोश की बारी आ गयी शेर की गुफा में जाने की। गिल्लू खरगोश बहुत ही बुद्धिमान था वह कोई भी फैसला बड़ा सोच समझकर लेता था। 

उसने सोंचा कि अब मेरा जीवन तो शेष है नहीं तो मैं शेर को खुश करने के लिए क्यों सोंचू यह विचार कर वह कुएं पर जाकर आराम करने लगा। इसी कारण गुफा में पहुँचने में उसे काफी देर हो गयी। अचानक खरगोश को याद आया और वह गुफा में पहुंचा तो शेर भूख से बहुत परेशान था। उसने खरगोश के ऊपर दहाड़ते हुए कहा कि एक तो तू इतना पिद्दा सा है और तूने आने में इतनी देर लगा दी, तुझे मुझसे डर नहीं लगता क्या? या तुम अपना दिया हुआ वचन भूल गए। गिल्लू खरगोश ने डरते हुए शेर से कहा कि महाराज मैं तो आपके पास समय से पूर्व ही आ रहा था परन्तु ज्यों ही मैं अपने घर से निकला त्यों ही रास्ते में मुझे एक शेर ने रोक लिया। उसने कहा कि  मैं तुम्हे खा जाऊंगा तो मैंने कहा कि यदि तुम मुझे खा जाओगे तो मेरे महाराज तुमपर नाराज होंगे और तुम्हे जान से मार देंगे इतना कहकर मैंने आपका नाम बताया तो उसने कहा कि तुम झूठ बोलते हो। तो मैंने कहा कि आप मेरे भाई बिल्लू खरगोश को पकड़ कर रखिये मैं उन्हें लेकर आता हूँ। 



इतना सुनकर शेर को क्रोध आ गया उसने गिल्लू से कहा कि अब मैं जबतक उस बहरूपिये को मार नहीं देता मैं भोजन नहीं करूँगा। शेर और गिल्लू दोनों ही उस कुएं की और चल दिए कुएं के पास पहुंचकर गिल्लू ने शेर से कहा की महाराज वह दूसरा शेर कहीं दिख नहीं रहा है लगता है वह अपने किले में घुस गया है ये कहते हुए उसने कुएं की ओर इशारा किया। शेर झट से कुएं के ऊपर चढ़ गया और जोर जोर से गर्जना करते हुए दूसरे शेर को ललकारने लगा तभी पीछे से गिल्लू ने आकर कहा की महाराज उधर देखिये नीचे, वो रहा वो दूसरा शेर और साथ में मेरा भाई बिल्लू खरगोश। नीचे पानी में दोनों की परछाई दिख रही थी। शेर ने आव देखा न ताव उसने तुरंत ही अपने दुश्मन के ऊपर उस कुएं में छलांग लगा दी और जाकर पानी में डूबने लगा उसने खरगोश से मदद की गुहार की पर खरगोश ऊपर से सारा दृश्य देखता रहा और फिर चला गया। 

खरगोश ने यह बात सभी जंगलवासियों को जाकर बताई तो सभी के अंदर ख़ुशी की लहार दौड़ उठी सभी ने गिल्लू खरगोश की बहुत प्रशंसा की और धन्यवाद दिया। जंगल को अब क्रूर शेर से छुटकारा मिल गया था अब सारा जंगल हंसी ख़ुशी रहता था। 

शिक्षा :-

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि बल से बुद्धि हमेशा बड़ी होती है, और हमें कठिन से कठिन परिस्थिति में भी कभी अपना आपा नर्ही खोना चाहिए बल्कि धैर्य से काम लेना चाहिए। क्योंकि हो सकता है कि थोड़ा सा विचार कर लेने से हम बड़ी से बड़ी मुसीबत से बच जाएँ।  


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