रोचक व खतरनाक टिड्डा 


रोचक व खतरनाक टिड्डा 

इस संसार में विभिन्न प्रकार के जीव रहते हैं जिनमें से कुछ तो इंसानो और खासकर किसानों के लिए बहुत ही हानिकारक हैं जिनमें चूहे, नीलगाय, दीमक, टिड्डे इत्यादि प्रमुख हैं। ये जीव खेतों में लहलहाती हुयी फसलों को एक ही बार में बर्बाद कर देते हैं और किसानों के पूरे साल भर की मेहनत और उम्मीदों पर तुरंत ही पूर्णविराम लगा देते हैं, जिनकी वजह से कभी कभी ऐसा आलम हो जाता है कि किसानों को ख़ुदकुशी करनी पड़ जाती है, वो कर्जे में डूब जाते हैं और फसल ख़राब हो जाने की वजह से किसान अपना मुनाफा नहीं निकल पाता है । इनमें से जिस भी जीव की नजर किसी लहलहाते खेत पर पड़ती  है तो मानो की वो खेत अब और सुन्दर नहीं दिखेगा। फिलहाल अब विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली है और किसान समय समय पर इन कीटों, कीड़ों और जीवों के प्रकोप से अपनी मेहनत और फसल को बचाने के लिए अपने खेतों में तरह तरह के कीटनाशकों का प्रयोग करता है। 

टिड्डे का परिचय - 

टिड्डा एक्रिडाइइडी (Acridiide) परिवार के ओर्थोपेट्रा गण का कीट है। इसे लघुश्रृंगीय टिड्डा (Short Horned Grasshopper )भी कहते हैं। पूरे संसार में इस टिड्डे की 6 जातियां पायी जाती हैं। आप सबको बता दूँ कि यह एक प्रवासी कीट है इसकी उड़ान लगभग 2000मील तक होती है। इनका मुख्य भोजन वनस्पति होती है। यह टिड्डे बहुत बड़े झुण्ड में उड़ते हैं इनके झुण्ड में कम से कम 50000 से 1 लाख तक टिड्डे एक साथ उड़ते हैं इसलिए इन टिड्डिओं का झुण्ड जिस भी पेड़ या फसल से होकर गुजरता हैं उसे तहस नहस कर देता है। आप सबको टिड्डे के विषय में एक रोचक बात बताता हूँ वह ये कि टिड्डे के कान उसके सर के ऊपर नहीं बल्कि उसके पेट पर होते हैं वो कम्पन से सुनता है। टिड्डे अपने पिछले पैरों को रगड़ कर एक विशेष प्रकार की धुन निकालते हैं जिससे ये आपस में बात करते हैं। टिड्डे अपने शिकारी से बचने में बहुत माहिर होते हैं, ये तुरंत खतरा भांप कर झट से उड़ जाते हैं और अपने शिकारी को चकमा दे देते हैं। 

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टिड्डा 



टिड्डे का जीवनकाल -

शिशु टिड्डी 3 से 4 हफ्ते में वयस्क हो जाते हैं, और इस दौरान 4 से 5 बार इसकी त्वचा बदलती है। वयस्क टिड्डिओं में 10 से 30 दिनों में प्रौढ़ता आ जाती और ये अंडे दे देती हैं। इनके अंडे देने का तरीका भी बड़ा रोचक होता है, अंडे देने के लिए ये सख्त, गर्म और बंजर जमीन ढूढ़ती हैं।  कुछ प्रजातियों में यह काम कई महीनों में होता है। टिड्डे के 6 पैर होते हैं जोकि कई खण्डों में बंटे होते हैं इसके आगे के दो पैर लम्बे व मजबूत होते हैं। इसके कठोर संकुचित पंखों के नीचे दो काफी चौड़े पंख होते हैं। इनमें मृत्युदर ज्यादा होती है। एक टिड्डे का जीवनकाल लगभग 1 साल का होता है। 

टिड्डे कहाँ पाए जाते हैं -

वैसे तो ये टिड्डे भी और कीट पतंगों की तरह पृथ्वी के हर कोने में पाए जाते हैं पर जहाँ की जलवायु असंतुलित होती हैं वहां इनकी तादाद कुछ ज्यादा ही होती है क्योंकि इन स्थानों में रहने से इनके अनुकूल ऋतु इनकी तादाद को आस पास के क्षेत्रों तक फ़ैलाने में मदद करती है। जिससे इनकी संख्या में रातों रात वृद्धि हो जाती है और धीरे धीरे ये करोड़ों की तादाद में हो जाते हैं। ज्यादातर ये रेतीले स्थानों में पाए जाते हैं क्योंकि वहां के वातावरण में नमी होती है। मगर इनके अनुकूल वातावरण न मिलने से ये खेतों की और भागते हैं। 

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टिड्डिओं का शिकार-खेत 


टिड्डा आत्मरक्षा कैसे करता है -

आप सभी ने बचपन में टिड्डे पकड़े होंगे तो टिड्डे ने उस विरोध में एक भूरे रंग का तरल पदार्थ छोड़ा होगा। शोधकर्ताओं का मानना है कि ये आत्मरक्षा के लिए अपने थूक का इस्तेमाल करता है। 

टिड्डे एक स्वादिष्ट भोजन -

कई देशों में टिड्डे को एक बहुत ही स्वादिष्ट भोजन माना जाता है। अफ्रीका में तो जैसे ही इनका प्रकोप शुरू होता था, वैसे ही लोग इन्हे इकठ्ठा करके खाने में इस्तेमाल करते थे। मध्य पूर्व में खाड़ी देशों और दक्षिण एशियाई देशों में भी ऐसा होता रहा है, क्योंकि टिड्डिओं का खतरा प्राचीनकाल से ही बना हुआ है इसलिए लोगों ने इसे अपने भोजन में शामिल कर लिया। इसराइल में भी इसे बड़े चाव से खाया जाता है। अफ्रीका में तो लोग इसे एक पशुआहार के रूप में इस्तेमाल करते हैं। 

टिड्डिओं का हमला -

शायद आप सब नहीं जानते होंगे कि इस संसार में जितने भी कीट, पतंगे हैं उनमे से सबसे मजबूत दल टिड्डों का  होता है इनके एक दल में लगभग 50000-1 लाख तक सदस्य होते हैं। इनके दल में एक से एक धुआँधार हमलावर होते हैं, जो लहलहाते खेतों को पल भर में तबाह कर देते हैं या हम कह सकते हैं कि चट कर जाते हैं और जब पूरा खेत या फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जाती है और उनके लिए कुछ नहीं बचता तो वे आगे बढ़ जाते हैं। इनका उपद्रव सच में बड़ा ही भयावह होता है देखते ही देखते ये बड़े-बड़े पेड़ों के सभी पत्तों को स्वाहा कर देते हैं। इनमें भी एक सेनापति होता है जो एक प्रकार की ध्वनि निकाल कर सबको आदेश देता है और सब हमले के लिए तैयार हो जाते हैं। इनके प्रकोप ने न जाने कितने ही किसानों को अर्थहीन कर दिया, उनका सारा मुनाफा और मेहनत दोनों ही ख़त्म कर दी। इस बार टिड्डिओं ने भारत पे हमला किया था। भारत के टिड्डी नियंत्रण विभाग के अनुसार इन्होने वर्ष 1993 के बाद दोबारा सबसे बड़ा हमला किया है। 

टिड्डिओं से बचाव -

वैसे तो प्राचीनकाल से ही किसान इन टिड्डिओं से जूझता आया है, पर टिड्डिओं का आतंक शुरू हो जाने पर उन्हें रोक पाना काफी कठिन हो जाता है। लेकिन फिर भी कीटनाशकों का प्रयोग करके, गेहूं की भूसी को जहरीला बनाकर फैलाव करने से तथा जहरीली औषधिओं का छिड़काव करने से भी कुछ हद तक नियंत्रण हो जाता है। परन्तु हकीकतन टिड्डिओं पर नियंत्रण का कोई भी सटीक उपाय नहीं है। यहाँ तक की कीटनाशक बनाने वाली कंपनियों के पास भी इसका इलाज नहीं है। दुनिया में टिड्डी दल का हमला सबसे ज्यादा कजाकिस्तान में होता है, वहां की सरकार टिड्डी की रोकथाम के लिए सालाना लगभग 18लाख डॉलर खर्च करती है। 

तो ये थे रोचक व खतरनाक टिड्डे। आप सबको मेरी ये पोस्ट कैसी लगी प्लीज मुझे COMMENT में जरूर बताएं। इस BLOG में मेरे साथ बने रहने के लिए BLOG को SUBSCRIBE तथा SHARE करना न भूलें। 


धन्यवाद !

                                                                                                                                                                      
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